पिछले वर्ष दुधवा लाईव वाले कृष्ण कुमार मिश्रा जी नेमोबाईल पर हो रही बातचीत में जब कहा कि आप गूगल के बहुत बड़े प्रशंसक हैं तो मैंने भी हामी भरी कि गूगल सामान्यजन की नब्ज़ बड़ी बारीकी से पहचानता है और उसी के अनुरूप अपनी सेवाएँ देता है। उसका मुख्य उद्देश्य तो विज्ञापनों द्वारा कमाई करना है फिर चाहे इसके लिए थोड़ा बहुत मुफ़्त लॉलीपॉप भी देना पड़े तो क्या हर्ज़ है। ऐसे ही यह ब्लॉगिंग का मुफ़्त झुनझुना पकड़े लाखों लोग गूगल के लिए बेगारी कर रहे।
बात आगे बढ़ाते हुए उन्होंने जिज्ञासा प्रकट की कि इस बारे में खुलकर कुछ बताएँगे? मैंने हँसते हुए बात टाली कि कभी मन किया तो लिखूँगा इस पर!
पिछले दिनों फिर उनका फोन आया कि गूगल की मुफ़्त सेवाएँ छोड़ कर हजारों रूपए खर्च कर के आप अपनी वेबसाईट पर क्यों चले गए हैं? मैंने कहा कि यह निर्णय अभी नहीं किया गया। डोमेन तो वर्ष 2009 के मार्च में ही ले लिया गया था। कुछ कारणों से समय लग गया। अब यह तो किराए के मकान से अपने घर में जाने जैसा है। अरे भई! कोई आपको जगह दे रहा है किसी काम के लिए तो अपने नियम शर्तें तो लादेगा ही। जैसे मकानमालिक की शर्तें रहती है रात दस बजे तक वापस आ जाना है, माँस मदिरा का सेवन नहीं होगा, दोस्तों का जमघट नहीं होगा, ज़्यादा ऊँची आवाज़ में बात नहीं करना अदि आदि।
बात आगे बड़ी तो वे चहके कि इसी लिए गूगल धड़ाधड़ ब्लॉग बंद किए जा रहा है? मैंने भी शायराना अंदाज़ में ज़वाब दिया “अभी तो अंगड़ाई है…” उनकी चिरपरिचित जिज्ञासा सामने आई कि कुछ और रौशनी डालें इस पर। मैंने कहा पोस्ट लिख देता हूँ देख लेना। उन्होंने कहा कि ज़ल्दी लिखिए क्योंकि अब तो गूगल भी ज़ोर दे रहा कि पैसा खर्च कर के, अपना डोमेन ले कर वेबसाईट बनायो। मैं फिर मुस्कुराया कि अब तो मुफ़्त ब्लॉगिंग रेल के जनरल कंपार्टमेंट सरीखी होते जा रही और अपनी वेबसाईट शांत एसी सीट!

www.bspabla.com
आम तौर पर जब Content Management System वेबसाईट की बात आती है तो सामने दो विकल्प होते हैं वर्डप्रेस और जूमला।वर्डप्रेस की आसानियाँ मुझे इसे चुनने के लिए प्रेरित करती हैं। हैरानी कि बात नहीं कि ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार तेजी से बढ़ते हुए अब खुद के सर्वर पर वर्डप्रेस आधारित वेबसाईट्स की संख्या 3 करोड़ से अधिक हो चुकी है। इन्हें प्रतिदिन 20 करोड़ से अधिक नए पाठक मिलते हैं और औसतन हर पाठक 10 पृष्ठ तो देख ही लेता है।
आइए इस क्रांति के कुछ ठोस 9 कारण देखे जाएँ
1- प्लगिन
किसी भी मुफ़्त ब्लॉगिंग मंच की तुलना में अभी वर्डप्रेस के पास मुफ़्त के 17 हजार से अधिक प्लगिन हैं। आप बस कल्पना कीजिए वेबसाईट पर किसी स्थिति की और आपको वह प्लगिन के रूप में मिल ही जाएगा। मेरी इस वेबसाईट पर कुछ इने गिने प्लगिन मुफ़्त के ही हैं।
पहली बार आने वाले पाठक का पता लगा कर अभिवादन करने वाला अनूठा प्लगइन

मै स्वयं कई अनोखे प्लगइन उपयोग में लाता हूँ जो पहली बार आए पाठक का अभिवादन करते हुए आवश्यक जानकारी देते हैं,  अगला कौन सा लेख कब प्रकाशित होगा, टिप्पणी करने वाले ने अपने ब्लॉग पर क्या लिखा है बताते हैं, टिप्पणी करने वाले का संभावित स्थान दर्शाते हैं, टिप्पणी करने वाले को खुद ही धन्यवाद देता संदेश भेज देते हैं!

2- सर्च इंजिन मित्रता
वास्तविकता है यह कि गूगल अन्य की तुलना में वर्डप्रेस आधारित वेबसाईटों को अपने सर्च इंजिन के अनुरूप पाता है। विश्वास नहीं होता ना कि ब्लॉगस्पॉट की बजाए वर्डप्रेस से अधिक प्रेम है गूगल को!? ज़रा ध्यान से सुनिए कि इस बात को स्वीकारा है खुद गूगल के SEO विशेषज्ञ मैट कट्स ने। जो स्वयं वर्डप्रेस पर अपनी बातें कहते हैं।

तलाशिए खुद ही कि गूगल वर्डप्रेस वेबसाईटों को क्यों और कितना चाहता है

मैट कट्स के अनुसार वर्डप्रेस इतना सक्षम होता है कि सर्च इंजिन अनूकूलता के सैकड़ों झंझटों को खुद-ब-खुद चुटकियों में सुलझा लेता है, जिससे सर्च इंजिन के रोबोटों को आपकी कही बात की रैंकिंग बनाए रखने में आसानी होती है।



3- डिज़ायन
इस समय वर्डप्रेस द्वारा प्रमाणित 4 करोड़ डाऊनलोड की जा चुकीं करीब 1500 मुफ़्त डिज़ायन हैं जो वेबसाईट के लिए बनाई गई हैं। व्यवसायिक डिज़ायन की संख्या भी हजारों में और तीसरे पक्ष द्वारा बनाई गई डिज़ायनों की संख्या तो लाखों में है।

प्लगइनों का एक प्रदर्शन

4- व्यक्तिगत पहचान
निश्चित तौर पर, जब आप किसी दूसरे प्लेटफार्म का सहारा ले कर अपनी अभिव्यक्ति को कोई दिशा देते हैं तो वह स्थान आपका खुद का तो कतई नहीं होता है। अपना घर अपना ही है। तभी तो ब्लॉग जगत के धुरंधरों का उदाहरण देखिए:
  • जीतेंद्र चौधरी
  • अनूप शुक्ल
  • संजीव तिवारी
  • आर सी मिश्र
  • दिनेशराय द्विवेदी
  • अनिल पुसदकर
  • अजय कुमार झा
  • यशवंत सिंह
  • अभिषेक ओझा
  • संजीव सिन्हा
  • जी के अवधिया
  • जयराम विप्लव
  • ललित शर्मा
  • श्रीश शर्मा
(तुरत-फरत में यही नाम याद आए, याद दिलाए जाने पर यह सूची बड़ी हो सकती है। इनमे वे नाम शामिल नहीं हैं जिन्होंने केवल डोमेन लेकर उसे मुफ्त ब्लॉगस्पोट की ओर मोड़ दिया है)
5- वेबसाईट पर कमाया धन केवल आपका
यह मेरा प्रिय कारण है वेबसाईट बनाए जाने का। ऑनलाइन हिंदी लेखन में अभी कुछ इने गिने व्यक्ति ही हैं जो नियमित तौर पर  ‘कमाई’ कर पाते है और कुछ की आय अनियमित है। फेसबुक, ब्लॉगर जैसी जगहों पर आप भले ही अभिव्यक्ति के नाम पर या स्वात सुखाय का भाव लिए अपना समय और मौलिकता उड़ेल रहें हों लेकिन वह केवल उनके स्वामियों को ही ट्रैफिक और लाभ पहुंचाता है। जबकि आपकी अपनी वेबसाईट पर आने वाला पाठक केवल आपको ही लाभ पहुंचाएगा। धन के मामले में भी और आपकी अभिव्यक्ति के दृष्टिकोण से भी
इस तरह के विज्ञापन मुझे इंटरनेट से आमदनी हेतु प्रेरित करते हैं

आज भले ही मेरे साथी कंधे उचका दें कि जब मौक़ा होगा तो देखेंगे अभी कौन से पैसे बरस रहे! तो ध्यान रहे कि जब गूगल जैसे लोग दोनों हाथों में थैलियाँ लिए खड़े होंगे विज्ञापनों की जगह माँगते हुए, तो आपका अपना तो कुछ भी नहीं होगा, जो होगा वह गूगल के अपने घर में होगा
इसे एक कड़वी सच्चाई ही कहा जाएगा कि ज़रा सा मुफ्त स्थान पाने के चक्कर में सब  गूगल के लिए बेगारी कर रहे और वह अपना घर बना रहा।

6- बेहद आसान: तकनीकी विशेषज्ञता की ज़रूरत नहीं
किसी भी अन्य प्लेटफार्म की अपेक्षा अधिक सुगम

7- नियंत्रण: फेरबदल जैसा चाहें
तकनीक जानते हैं तो कठिन कार्यों को भी आसान तरीके से किए जाने का पूरा प्रबंध है।   फेसबुक, ट्विटर जैसी जगहों पर तो यह कतई संभव नहीं और ब्लॉगस्पॉट पर तो बेहद सीमित है।
हर फाइल की कोडिंग का आसान संपादन

8- नवीनतम बने रहने की खूबी
जब फेसबुक पर Like का विकल्प आया था  तो उसका पहला बटन वर्डप्रेस वेबसाइटों को ही मिला था। वेबसाईट तकनीक की तमाम ताज़ा जानकारियाँ, प्लगइन के अपडेट, विविध फीचर सीधे डैशबोर्ड पर ही प्राप्त हो जाते हैं।
प्लगिन्स का प्रबंधन

9- कम से कम खर्च में शानदार वेबसाईट
यकीन कीजिए किसी वेबसाईट को डिजाइन करवाने से बेहतर है कि मुफ्त और आसान वर्डप्रेस का इस्तेमाल कर अपनी खुद के नियंत्रण वाली वेबसाईट बनाएं।
करना क्या है?
  1. अपना ख़ास डोमेन खरीदें
  2. अपने आप को सही तरीके से इंटरनेट की दुनिया में प्रस्तुत करने के लिए होस्टिंग लीजिए। चाहें तो सालाना भुगतान करें या मासिक। यह आपके पानी, बिजली, दूध के बिल से भी कम होगा। आप इसे अनदेखा नहीं कर सकते।
  3. तीसरा और मुश्किल काम है वर्डप्रेस इंस्टाल करना, अच्छा सा डिजाइन चुनना, 15-20 प्लगिन लगाना, साइड बार को सजाना, हैडर लगाना। अब इतना समय तो देना होगा भई! कुछ वेबसाइट्स  के उदाहरण देखिए
अगर नहीं तो फिर किसी की सहायता लीजिए जो अपना मेहनतनामा लेगा ही। अब तो गूगल ने भी मुफ्त ब्लॉगिंग करने वालों सेकुछ सार्थक मिलता ना देख डोमेन बेचना और होस्टिंग दिलवाना शुरू कर दिया है और ललचाने के लिए इन सब खर्चों को शुरूआती एक वर्ष के लिए मुफ्त कर दिया है। उसे मालूम है कि मुफ्त का नाम सुन कर कुछ लोग तो दौड़ेंगे ही।
एक तरीका और है जो नीचे दर्शाया गया है
अब इतना कुछ कह चुका लेकिन असल बात लिखना तो भूल ही गया! कोई माई का लाल आपकी वेबसाईट को बंद नहीं करा सकताज़्यादा से ज्यादा किसी खास देश में प्रतिबंधित हो सकती है लेकिन इंटरनेट पर इसका अस्तित्व बना रहेगा. सारे चित्र, सारे डाटा आपके स्वामित्व में ही रहेंगे और ज़रा ज़रा सी बात पर इनके खो जाने का डर नहीं है.
फिर भी कुछ बताना कुछ छूट गया है क्या?
मैं बी एस पाबला
छत्तीसगढ़ के दल्ली राजहरा में जनम व पालन पोषण
भिलाई इस्पात संयंत्र में सेवारत
हिंदी से बेहद लगाव
इलेक्ट्रॉनिक्स सहित कई तकनीकों में रुचि
फिलहाल हिंदी ब्लॉगिंग में 6 वर्ष से सक्रिय
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गंभीर, स्थापित ब्लॉगर मुफ्त का मंच छोड़कर खुद की वेबसाईट पर क्यों चले जाते हैं?10.0 out of 10 based on 2 ratings

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