हिंदीब्लॉगजगत
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- कच्छ कथा-1: थोड़ा मीठा, थोड़ा मीठू - ऐसा ही दिखता था 'रोड मूवी' में अभय देओल का ट्रक गुजरात की सरकार पिछले कई दिनों से एकविज्ञापन कर रही है जिसमें परदे पर अमिताभ बच्चन कहते हैं, ''जिसने कच्छ...
3 मिनट पहले - एहतराम इस्लाम की ग़ज़लें - कवि /शायर -एहतराम इस्लाम सम्पर्क -09839814279 एहतराम इस्लाम की ग़ज़लें एक हर एक की नज़र से बचा ले गया उसे था कितना बा- कमाल उड़ा ले गया उसे . पहले तो कर...
3 घंटे पहले - बात ये अच्छी नहीं - दूसरे का दिल दुखाना, बात ये अच्छी नहीं हर हमेशा खिलखिलाना, बात ये अच्छी नहीं दिल के हर हालात का, इक अक्स चेहरे पर लिखा मौत पर भी गुनगुनाना, बात ये अच्छी नही...
4 घंटे पहले - चारित्रिक गुणों के संबंध - हे मानवश्रेष्ठों, यहां पर मनोविज्ञान पर कुछ सामग्री लगातार एक श्रृंखला के रूप में प्रस्तुत की जा रही है। पिछली बार हमने व्यक्ति के वैयक्तिक-मानसिक अभिलक...
4 घंटे पहले - मुझे ख़ुद से हैं बहुत-सी उम्मीदें... - *(मुंबई के महबूब स्टूडियो में पिछले दिनों दीपिका पादुकोण से मुलाक़ात हुई। वे फ़िल्म **‘**देसी ब्वॉयज़**’** की प्रमोशन में** **व्यस्त थीं। कुछ देर इधर-उधर ...
9 घंटे पहले - शुभम श्री की एक कविता .... - 'मेरे हॉस्टल के सफाई कर्मचारी ने सेनिटरी नैपकिन फेंकने से इनकार कर दिया है'- ''ये कोई नई बात नहीं लंबी परंपरा है मासिक चक्र से घृणा करने की 'अपवित्रता' की इ...
9 घंटे पहले - Flight - Volo - उड़ान - [image: Painted storks, Delhi zoo, India - S. Deepak, 2011] [image: Painted storks, Delhi zoo, India - S. Deepak, 2011] [image: Painted storks, Delhi zoo, In...
11 घंटे पहले - स्मार्टफोन और टैबलेट में आयेगा यूऍसबी ३.० पोर्ट - स्मार्टफोन और टैबलेट को भी मिलेगा हाइस्पीड यूऍसबी पोर्ट। [[ यह पोस्ट सामग्री का केवल एक अंश है। पूरी पोस्ट पढ़ने के लिये कृपया ऊपर पोस्ट का टाइटल क्लिक कर ...
13 घंटे पहले - मेहदी हसन साहब ..उनसा कोई नहीं है! -मेहदी हसन साहब आई सी यू में भर्ती किये गए हैं ,उनके दुश्मनों की तबीयत नासाज है ..हम उनके भारतीय प्रशंसक ,दीवाने ये दुआ करते हैं कि वे जल्दी ठीक हों और फिर ...
14 घंटे पहले - दिल्ली का दिल --कनॉट प्लेस का सेन्ट्रल पार्क---. - देश का दिल --दिल्ली । दिल्ली का दिल --कनॉट प्लेस ( सी पी ) । और सी पी का सेंटर --सेन्ट्रल पार्क । कभी यह सिर्फ एक पार्क होता था । अब यह एक सांस्कृतिक केंद्...
15 घंटे पहले - KAMbakhhT Landline. - Ye Landline par phone karne waalo'n ko AB golee se udaa dene ko jee karta hai... MAA KASAM... ;-) ;
18 घंटे पहले - १४ वां भारंगम: छठा दिन(चांडालिका) - इस वर्ष का भारंगम गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर को समर्पित है. इसलिये भारंगम में उनके नाटकों की कई प्रस्तुतियां हो रहीं है. भारंगम का उद्घाटन भी रतन थियम निर्...
21 घंटे पहले - फासला उम्र का - फासला उम्र का दिख जाता है बस यूँ ही विचारों के फासले की उम्र नहीं दिखती फिर भी सदा उम्र से विचारों को आँका जाता, क्या अधिक उम्र से ही,जीवन दिख पाता? सच है ...
1 दिन पहले - वार्षिक संगीतमाला 2011 - पॉयदान संख्या 18 : तेरी सीमाएँ..जब गुलज़ार और श्रेया ने घोला उदासी का रंग.. - रवींद्रनाथ टैगोर के उपन्यास नौका डूबी से प्रेरित हिंदी और बंगाली फिल्म जगत में कई बार फिल्में बन चुकी हैं। इसी सिलसिले को इस बार और आगे बढ़ाया रितुपर्णा घोष...
1 दिन पहले - चांद किसी काले चेहरे का सफेद दाग़ है -उसके पास उम्र के तीन हिस्से थे। एक हिस्सा थोड़ा छोटा था, मगर उसे बेहद पसंद था। जैसे घर के छोटे बेटे अमूमन सबको बहुत पसंद होते हैं। ये बस घर में ही मुमकिन ह...
1 दिन पहले - टीवी के लिए फिल्मों की काट-छांट -[image: टीवी के लिए फिल्मों की काट-छांट]-अजय ब्रह्मात्मज पिछले दिनों तिग्मांशु धूलिया बहुत परेशान थे। उनकी फिल्म साहब बीवी और गैंगस्टर को सेंसर बोर्ड के क...
1 दिन पहले - लोहड़ी की शुभकामनाऍं - नये साल में कोहरे और सर्द हवाओं के बीच चुपके से लोहड़ी दस्तक दे रहा है। पड़ासी रात को अलाव जलाऍंगे, तो उसकी धमक हम तक भी आएगी। गाजर के हलवे की खूश्बू से घ...
1 दिन पहले - उमर बढ गई या कम हो गई.......????? -आज मन में यह ख्याल आ रहा है कि खुशियां मनाऊं या गम....? आज जन्मदिन है मेरा। उम्र एक साल बढ गई.... या कम हो गई....., क्या कहूं, क्या समझूं। वैसे जन्...
1 दिन पहले - इप्टा के साथ तीन दिन - विनोद साव - शाम को चार बजे नेहरु हाउस पहुंचा तो सन्नाटा था। जयप्रकाश दिखे, बताए कि ‘सब लोग रैली में शामिल हैं, चलो हम लोग भी चलते हैं।’ इतने में ही विनोद कुमार शुक्...
2 दिन पहले - तुच्छ-प्रेम -- उच्च-प्रेम - क्या प्रेम भी तुच्छ और उच्च की श्रेणी में विभाजित हो सकता है ? कल एक चर्चा के दौरान मित्र ने कहा उसका 'स्त्री-प्रेम' तुच्छ है। वह केवल 'उच्च प्रेम' अर्थात ...
2 दिन पहले - ‘द स्पाई हू केम इन फ्रॉम द कोल्ड’ - *संदीप मुदगल* गत सदी शीत युद्ध के नाम थी। दुनिया के पूंजीवादी और वामवादी धड़ों में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से जो खींचतान देखने को मिली थी, उसका अस्तित्व ...
2 दिन पहले - दो नई कविताएं - शुक्रवार की साहित्य वार्षिकी-2012 में ये दो नई कविताएं प्रकाशित हुई हैं। मेरे मित्र और पाठक जानते हैं कि इधर मेरी कविताओं का स्वर बहुत बदला है और ये कवित...
2 दिन पहले - समकालीन कविता - मुंबई के कुछ मित्रों ने *चिंतनदिशा* का प्रकाशन फिर से शुरू किया है. पिछले अंक में *विजय बहादुर सिंह* और *विजय कुमार* के बीच कविता की चिंताओं को लेकर हुआ...
4 दिन पहले - शुभम श्री की कविताएं - ** * मेरे हॉस्टल के सफाई कर्मचारी ने सेनिटरी नैपकिन फेंकने से इनकार कर दिया है* ये कोई नई बात नहीं लंबी परंपरा है मासिक चक्र से घृणा करने की 'अपवित्रता' की ...
4 दिन पहले - " चुनाव-चिन्ह डायनासोर क्यों न हुआ .......?" - राजनैतिक दल के चुनाव-चिन्ह वाले सभी बुत ढक दिए जायेंगे | गोया कहीं बुत खुले रह गए तो वे मतदाताओं को आवाज़ लगा लगा के अपने पक्ष में बहला फु...
5 दिन पहले - अपने ब्लॉग को गूगल ब्लॉग सर्च में कैसे जोडें - गूगल सर्च इंजन इंटरनेट में डाली जा रही सामाग्रियों को लगातार स्वत: खोजकर हमें प्रस्तुत करता है. गूगल के इस निरंतर अद्यतन कार्य के बावजूद यदि आपको लगता है क...
5 दिन पहले - यूँ ही .....कभी कभी... - *रद्दी पन्ना -* सफ़ेद कोरे पन्ने सी थी मैं जिस पर जैसी चाहे इबारत लिख सकते थे तुम पर तुमने भी चुनी काली स्याही यह सोच कर कि उसी से चमकेगा पन्ना पर भूल ...
5 दिन पहले - जाने क्या चाहे मन बावरा... - सुबहों का कोई ठिकाना नहीं कि वे कब आ धमकें. कभी तो आधी रात को दरवाजे पर दस्तक देती हैं और कभी दिन के दूसरे पहर भी ऊंघती सी आसमान के किसी कोने में दुबकी र...
5 दिन पहले - नर्तकियाँ और पृथ्वियाँ - और फिर हमने ’पीना’ देखी. जैसे उमंग को टखनों के बल उचककर छू दिया हो. धरती का सीना फाड़कर बाहर निकलने की बीजरूपी अकुलाहट. ज़िन्दगी की आतुरता. जैसे किसी ने सतरं...
5 दिन पहले - सिद्धेश्वर की नई किताब का स्वागत करें... -मेरे अत्यंत प्रिय मित्र सिद्धेश्वर की नयी किताब आई है...पहला कविता संकलन "कर्मनाशा"...उसका लोकार्पण भी कविता समय के दौरान होना था लेकिन किन्हीं दिक्कतों क...
6 दिन पहले - अनन्त के गुण हैं अजीब - This post in HIndi (Devnagri script) talks about an interesting video about infinity. इस चिट्ठी में अनन्त के अजीब गुणों को बताते एक रोचक विडियो की चर्चा है...
6 दिन पहले - गीता और फैसले का क्षण - रूस की एक अदालत में गीता को आतंकवाद समर्थक ग्रंथ घोषित करने का मुकदमा अभी चर्चा से बाहर भी नहीं हुआ था कि भारतीय मूल के जाने-माने ब्रिटिश अर्थशास्त्री लॉर्...
1 सप्ताह पहले - स्मृति - *'स्मृति' किताब है, जिसमें कथा ही कथा है, जो विस्तार की फिराक में हर वक्त लगा रहता है लेकिन मैं कविता की खोज में हूं, कुछ शब्द हैं, कुछ राग हैं,केंद्र घर ...
1 सप्ताह पहले - पापा को भी प्यार चाहिए -सतीश सक्सेना -** *निम्न रचना में व्यथा वर्णन है उन बड़ों का जो अक्सर अपने आपको ठगा सा महसूस करने लगते हैं ! कृपया किसी व्यक्तिविशेष से न जोड़ें ...* *महसूस करें बुजुर्गो...
1 सप्ताह पहले - ईश्वर पाने का शार्टकट - *ईश्वर को पाने का सरलतम मार्ग कौन सा है?* जे कृष्णमूर्ति : मुझे नहीं लगता कि कोई सरल मार्ग है। क्योंकि ईश्वर को पाना अत्यंत कठिन, अत्यधिक श्रमसाध्य बात ह...
1 सप्ताह पहले - वह बांसुरी जाने कहां गई जो मुहब्बत का गीत गाती थी... - घर, क़बीला, समाज, मज़हब और सिसायत भी हमारे चाँद-सूरज होते हैं, और इनको लगे ग्रहण के वक़्त जब किसी शायर, आशिक और दरवेश का जन्म होता है तो यह हकीकत है कि दर...
1 सप्ताह पहले - खिड़्कियाँ.... - इस तरह की अकेली दौपहरें... ना जाने कितनी खिड़कियों के साथ मैंने काटी हैं..। मेरा सबसे सुंदर वक़्त इन खिड़कियों से झांकते हुए ही बीता है...। एक खिड़की मुझे...
1 सप्ताह पहले - ये क्या कम है मेरी शाखों पे फिर भी कुछ परिंदे हैं - *आप सब को नव वर्ष की हार्दिक शुभ-कामनाएं. * हजारों में किसी इक आध के ही गैर होते हैं वगरना दुश्मनी करते हैं जो होते वो अपने हैं कभी मेरे भी दिल में चांदन...
1 सप्ताह पहले - मोक्ष - इन बीस सालों में वह अपनी बेटी से नहीं मिला था | वह नहीं चाहता था कि उसकी बेटी को पता चले कि उसका पिता कौन है | अपनी सारी हैवानियत को आज ताक पर रखकर वह ...
1 सप्ताह पहले - शक्ति, जिस से लुटेरे थर्रा उठें - *अनवरत के सभी पाठकों और मित्रों को नव वर्ष पर शुभकामनाएँ!!!* *नया वर्ष आप के जीवन में नयी खुशियाँ लाए!!* भारतीय जनगण को इस वर्ष निश्चित रूप से विगत वर...
1 सप्ताह पहले - 2011 बीता नहीं है!!! - समय कभी नहीं बीतता। बीतना प्रकृति में है ही नहीं। मात्र रूपांतरण है, लेकिन मनुष्य़ बीतता है। यही नहीं, उसे अपने बीतने की चेतना भी है। बहुत पुराने जमाने में...
2 हफ़्ते पहले - नये साल में बच्चों और उनकी शिक्षा के लिए बड़ी जगह पैदा होनी चाहिए। - गुरू-शिष्य के संबंधों पर सभी भाषाओं और समाजों में साहित्य भरा पड़ा है। वह पूरा साहित्य न मैं अब तक पढ़ पाया हूँ न ही पूरे साहित्य से अनजान हूँ। वह विगत औ...
2 हफ़्ते पहले - बीतते क्षणों में... - दे के अपनापन अनोखा, सीख सौ-सौ काम वाली। आज जबकि नेह बाँधा, तुम विदा दे जा रहे हो। अश्रुओं की लड़ी दे दूँ, नेह जल की झड़ी दे दूँ। थाम अंगुलियाँ निहारूँ, बा...
2 हफ़्ते पहले - जा रहा है बचपन आ रहा पचपन .... - सुबह सुबह अच्छी खासी नींद लगी थी की बच्चों का शोरगुल सुना तो नींद खुल गई . कमरे से बाहर निकल कर देखा की परिवार के बच्चे कह रहे थे आज इकतीस दिसंबर है और कल ...
2 हफ़्ते पहले - तीस साल पहले नया साल - तीस साल पहले कभी ये कविताएँ लिखी थीं. दूसरी वाली शायद 1990 के आसपास जनसत्ता के चंडीगढ़ एडीशन में छपी थी. उन दिनों दक्षिण अफ्रीका में नस्लवादी तानाशाही थ...
2 हफ़्ते पहले - ….चोखा मम्मी की याद आने पर बनेगा -पापा की याद आ रही थी तो लिट्टी बनाने लग गया: चोखा मम्मी की याद आने पर बनेगा ध्यान कहाँ है पापाजी ?: फ़टाफ़ट टिपिया के काम खतम कीजिये! पाण्डुलिपि से गुम हस्तल...
2 हफ़्ते पहले - आलोचना के कॉमनसेंस के प्रतिवाद में -हिंदी आलोचना में इनदिनों एकदम सन्नाटा है। इस सन्नाटे का प्रधान कारण है आलोचना सैद्धांतिकी, समसामयिक वास्तविकता और सही मुद्दे की समझ का अभाव। यह स्थिति सामा...
2 हफ़्ते पहले - यह अचानक क्यों समेट लिये गये तम्बू-कनात... और लपेट लीं गई दरियाँ भी ? - . . . अपने इलेक्ट्रानिक मीडिया ने कमी तो नहीं छोड़ी थी कहीं से भी, किसी चैनल ने लगाये थे पचास कैमरे और पचास रिपोर्टर और किसी ने सौ कैमरे और पचास रिपोर्...
2 हफ़्ते पहले - दाता - इतवार का दिन था। कई दिनों के कोहरे के बाद कुनमुनी धूप निकल कर आई थी। साढ़े-दस ग्यारह बजे की मुतमईन घड़ियों में बच्चे और नौजवान जहाँ जगह मिले खेल रहे थे। प...
2 हफ़्ते पहले - हमने माना कि तगाफुल न करोगे लेकिन... -कई तो ऐसे ही चले गए थे, बिना इस दिन का इंतज़ार किये. वो भाग्यशाली रहे थे कि उनको अपमान के ये कड़वे घूंट जो नहीं पीने पड़े. वे जो अब तक जा चुके थे, वे सब, एक ए...
2 हफ़्ते पहले - श्रद्धांजलि के साथ अदम गोंडवी की दो गज़लें- 1. हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये अपनी कुरसी के लिए जज्बात को मत छेड़िये हममें कोई हूण, कोई शक, कोई मंगोल है दफ़्न है जो बात,...
3 हफ़्ते पहले - कुछ ख़ुश्बूएँ यादों के जंगल से बह चलीं... -कुछ ख़ुश्बूएँ दिल के कितने क़रीब होती हैं... कभी होता है ना बैठे बैठे अचानक कोई ख़ुश्बू याद आ जाती है और बस मन बच्चों सा मचल उठता है उसे महसूस करने को.....
3 हफ़्ते पहले - उफ! ये सोच - सोचते-सोचते… दिमाग की नसें फूल गई हैं ये भूल गई हैं सोना साथ ही भूल गई हैं सोते हुए ‘इस आदमी’ को सपने दिखाना रात-दिन बस एक काम सोचना...सोचना...सोचना...
3 हफ़्ते पहले - अदम जी मुझे लौकी नाथ कहते थे - जयपुर में अदम जी मंच संचालन कर रहे थे। मुझे कविता पढ़ने बुलाने के पहले एक किस्सा सुनाया। किसी नगर में एक बड़े ज्ञानी महात्मा थे। उनका एक शिष्य था नाम था...
3 हफ़्ते पहले - उर में कितने भाव सँजोए(गीत) : नागेश पांडेय 'संजय' - गीत : नागेश पांडेय 'संजय' चित्र : रामेश्वर वर्मा उर में कितने भाव सँजोए पर कहने की कला न आई । अत: उचित है मन की भाषा पढ़ने का अभ्यास कीजिए ! इच्छाओं का ...
3 हफ़्ते पहले - कच्ची शराब से मरे तो क्या मरे - 45 मौत...फिर 73 फिर 93, 125, 143 और आख़िर में 170 पार मक़तूलों* में शामिल थे रिक्शेवाले, रेहड़ी वाले और मुमकिन है कुछ भिखारी भी मक़तूल..हां मक़तूल ही तो थ...
4 हफ़्ते पहले - प्यार ही प्यार, बेशुमार.. - मन में प्यार की तरंगें पछाड़ मारती हों तो दिल बड़ी बेदर्दी से टूटता है की बात हमें बिना इम्तियाज़ अली की- ओह, कैसी तो तिलकुट दिलकारी- समझदारी, और संजय '...
4 हफ़्ते पहले - मीडिया की आज़ादी और पत्रकारिता के रंग सियार - *भूपेन सिंह* *काटजू से कौन डरता है?* भारतीय प्रेस परिषद के नए अध्यक्ष मार्कन्डेय काटजू ने कॉरपोरेट समाचार मीडिया की अराजकता और समाज विरोधी गतिविधियों पर दो...
4 हफ़्ते पहले - आ रहा हुं मेरे वतन मै... - यह मेरी पोस्ट उस समय प्रकाशित होगी जब मे उडन खिटोले पर बेठ कर वापिस अपने देश की ओर आ रहा हुंगा, जब भी कभी ऎसे गीत सुनता हुं तो मुझे अपना बचपन, अपने बचपन के...
4 हफ़्ते पहले - 'लेडिस' से त्रस्त जेंट्स - हमारे देश में एक तरफ तो महिलाओं की बराबर की हिस्सेदारी की बात होती है, तो वहीँ दूसरी ओर महिलायें खुद महिला होने का फायदा उठाती हैं. जी नहीं, ये कोई नारीवाद क...
5 हफ़्ते पहले - ज़िन्दगी उत्तर भी है - *ज़िन्दगी इक प्रश्न भी है ज़िन्दगी उत्तर भी है * *फल कहीं वरदान का शापित कहीं पत्थर भी है * * * *है गुनाहों और दागों से भरा दामन कहीं * *पर कहीं दरगाह की इक...
5 हफ़्ते पहले - उत्तेजक चर्चा के दबाव में प्रयाग शुक्ल - रीता भदौरिया के दूसरे काव्य संग्रह के लोकार्पण के अवसर पर वीरेन डंगवाल, प्रयाग शुक्ल, कवयित्री स्वयं, अशोक चक्रधर और असगर वजाहत पानी पर गांठ के बहाने कविता ...
5 हफ़्ते पहले - कुन फाया, कुन : एक रूहानी अहसास - मुझे सूफी संगीत वैसे भी बहुत अच्छा लगता है। चाहे हो फिल्मों से हो या फिर गैर फिल्मी। आजकल एक गीत मेरे जहन में लगातार घूम रहा है, इसके बिना दिन अधूरा अधूरा ...
5 हफ़्ते पहले - नशा है सबमें मगर रंग नशे का है जुदा........- "गीत लिखने वाले ने ठीक लिखा है, मतलब निकालने वालों ने भी ठीक मतलब निकाला है। अन्ना का फ़ार्मूला भी ठीक है और इस बात पर अन्ना की खिंचाई करने वाले भी ठीक है...
1 महीने पहले - विदेशी कंपनियों को मनमोहन का क्रिसमस तोहफा - ** विकास के जिस मॉडल के खिलाफ पूंजीवाद के ही उत्स देश अमेरिका में जब आक्युपाई वाल स्ट्रीट यानी वाल स्ट्रीट पर कब्जा करो आंदोलन चल रहा है, ठीक उन्हीं दिन...
1 महीने पहले - यूरोप के एक विफल क्रांतिकारी से : वाल्ट व्हिटमन - अमेरिका में मुक्त छंद के पिता माने जाने वाले कवि वाल्ट व्हिटमन ( मई 31, 1819 – मार्च 26, 1892) कवि होने के साथ एक निबंधकार और पत्रकार भी थे. अपने समय के स...
1 महीने पहले - सपना आगे जाता कैसे? - छोटा सा इक गाँव था जिसमें दीये थे कम और बहुत अंधेरा बहुत शज़र थे थोडे घर थे जिनको था दूरी ने घेरा इतनी बडी तन्हाई थी जिसमें जागता रहता था दिल मेरा बहुत कदी...
1 महीने पहले - रानी लक्ष्मीबाई का जन्म दिन - आज १९ नवम्बर है | महान वीरांगना, झांसी की रानी, रानी लक्ष्मीबाई का जन्म दिन | सादर नमन |
1 महीने पहले - अभिनेत्रियां - 'हंस' के नवम्बर, 2011 के अंक में छम्मकछल्लो की कहानी छपी है- 'अभिनेत्रियां'. तमिलनाडु की तत्कालीन चुनावी स्थिति को केंद्र में रखकर लिखी गई यह कहानी शायद आप...
1 महीने पहले - नज़मा आत्मविरोध में विज्ञापन करती है -बिल्डिंगों के जंगल हैं रस्सियों पर लटककर चमकीले शीशों की सफाई चलती रहती है कारोबारी चौराहे के चौपड़ में नज़मा दिन भर बैंक के सामने बैठी रहती है बैंक के आ...
1 महीने पहले - डॉ.खुराना के अवसान ने एक बार फिर इन मुद्दों को प्रासंगिक बना दिया है .... - विगत ९ नवम्बर(२०११) को भारतीय मूल के वैज्ञानिक और नोबेल पुरस्कार विजेता *हरगोबिन्द खुराना *की मृत्यु हो गयी ..उन्हें १९६८ में नाभकीय अम्लों के प्रोटीन सं...
2 महीने पहले - विरुद्ध..... - *(अपने दूसरे ब्लॉग " अपनी बात..." पर मैने श्री हरिशंकर परसाई जी से जुड़ा अपना संस्मरण पोस्ट किया तो उसमें वसुधा में प्रकाशित कहानी का भी ज़िक्र आया. मेरे क...
2 महीने पहले - सीधे दिल से... - मुकम्मल रौनक की चाह में रौशनी भी जाती रही *इक ख्वाब के खातिर हमने अंधेरों से दोस्ती कर ली...* यादों के आशियाने में वो आ आ के जाती रही *मायूसी के वायस हमन...
2 महीने पहले - विचारोत्तेजक हिन्दी लेख - विचारोत्तेजक लेख जीवन की दिशा बदल सकते हैं। उनमें समाज को सही दिशा देने की शक्ति भारी होती है। इसी उद्देश्य से अंतरजाल पर विद्यमान कुछ लेखों के लिंक का संग...
2 महीने पहले - दिए के जलने से पीछे का अँधेरा और गहरा हो जाता है… - मैं शायद कोई किताब पढ़ रही थी या टी.वी. देख रही थी, नहीं मैं एल्बम देख रही थी, बचपन की फोटो वाली. अधखुली खिड़की से धुंधली सी धूप अंदर आ रही थी. अचानक डोरबे...
2 महीने पहले - सभ्यासभ्य संवाद - रामलीला मैदान में एक बहस असभ्य : हे बाबू साहब, यह क्या तमाशा हो रहा है यहाँ? सभ्य : तमाशा? यह तमाशा है? तू यहाँ इस ऐतिहासिक रामलीला मैदान में खड़ा है। उधर म...
3 महीने पहले - भ्रष्टाचार की गंगा का मुहाना बंद करना होगा -*पी. साईनाथ* *अनुवाद: मनीष शांडिल्य* *मनमोहनॉमिक्स* के करीब 20 साल पूरे हो रहे हैं, अतः उस कोरस को याद करना बहुत वाजिब होगा, जिसका राग मुखर वर्ग पहले तो खू...
3 महीने पहले - ग़रीबी रेखा के ठीक ऊपर - On the Way to Daarjiling - Raghu Rai वे कौन लोग होते हैं जो किसी अपरिचित की शवयात्रा में चलते हैं हुजूम के साथ उदासी चेहरों पर लादे कौन होते हैं वे आध...
3 महीने पहले - दो वर्ष पूरा होने की ख़ुशी ज्यादा या गम.... -२३ सितम्बर को इस ब्लॉग के दो साल हो गए. पर इस बात की ख़ुशी नहीं बल्कि अपराधबोध से मन बोझिल है. पिछले साल इस ब्लॉग पर सिर्फ दो लम्बी कहानियाँ और एक किस्त,...
3 महीने पहले - वक़्त रिअर ग्लास की तरह है - वक़्त मोड़ देता है कभी कान उमेठकर हौले से कभी बाहें मदोड़ कर झटके से और कभी इस तरह कि बस चौंकने भर का मौका होता है वो मोड़ता है तो मुड़े बिना मैं नहीं और वो ...
3 महीने पहले - उठान डगर - उठान डगर मेरे घर के पास स्थित हनुमान मंदिर की सीढ़ियों पर कुछ वर्ष पूर्व चित्रकारी की गई थी। उन चित्रों में से कुछ को मैंने अपने कैमरे में कैद कर लिय...
3 महीने पहले - happy birth day papa... - *डियर पापा... ये मेरा आपको लिखा पहला खत है! सालों से बहुत कुछ मन में है जो कहना चाहती थी पर कैसे कहती.. जो आप तक पहुँच पाता? आज आप होते तो चौंसठ साल के होत...
3 महीने पहले - रुकी हुई रेल - *हिलते पर्दे से छनकर रौशनी आती है , शीशे के बोल में अरालिया की एक लतर , किताबों की टांड में एक ग्रॉसमन , रिल्के की ना समझी कोई कविता की एक अदद पंक्ति, चाय ...
3 महीने पहले - महाभियोग की कार्रवाई से पहले हाई कोर्ट न्यायाधीश ने इस्तीफा दिया - महाभियोग की कार्रवाई का सामना कर रहे कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायधीश सौमित्र सेन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सेन ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेज दिया ...
4 महीने पहले - ईआईएच : निवेशकों की पौ-बारह संभव -ओबेराय होटल की मालिक कंपनी ईआईएच के शेयर में एक बार फिर जोरदार हलचल शुरु हो गई है। यह हलचल सेबी द्धारा टेकओवर कोड में परिवर्तन किए जाने के तत्काल बाद आईट...
4 महीने पहले - Five Bauncing Balls - Speech by Bryan Dyson (CEO of Coca Cola) 'Imagine life as a game in which you are juggling some five balls in the air। You name them - work, family, he...
4 महीने पहले - क्या भिखारी भी मानव हैं ?? (Are Beggars Also Human??) - मेरे घर के पास हाईवे पर एक बहुत ही व्यस्त चौराहा है जहां हरीबत्ती के लिये अकसर 3 मिनिट रुकना पडता है. वहां एक स्थाई भिखारिन है जिसको मैं पिछले दस साल से पै...
4 महीने पहले - इफ़ आई वर अ बॉय / अगर मैं लड़का होती -“अगर मैं एक दिन के लिये भी लड़का बन सकती तो मैं अपनी मर्ज़ी से देर तक घर के बाहर रुक सकती थी. दोस्तों के साथ बियर पीती, जो दिल चाहे वो करती और कोई मुझ पर किस...
5 महीने पहले - लेखक भाषा का आदिवासी है - *(१५ फरवरी 2011 को यह वक्तव्य मैंने लिखा था. तकनीकी असुविधाओं के बावजूद इसे आज अपने गाँव में लगा रहा हूँ. साहित्य अकादमी पुरस्कार का यह औपचारिक 'स्वीक...
5 महीने पहले - छत्तीसगढ़ी गज़ल : पीरा संग मया होगे -अइसन मिलिस मया सँग पीरा, पीरा सँग मया होगे. पथरा ला पूजत-पूजत मा, हिरदे मोर पथरा होगे. महूँ सजाये रहेंव नजर मा सीस महल के सपना ला , अइसन टूटिस सीस महल के ...
5 महीने पहले - Temporary Post Used For Theme Detection (a9d6ddff-5beb-4e3f-953e-9ba535625c6e - 3bfe001a-32de-4114-a6b4-4005b770f6d7)- This is a temporary post that was not deleted. Please delete this manually. (3c39a4d8-d346-4e56-8485-47703de8b400 - 3bfe001a-32de-4114-a6b4-4005b770f6d7)
6 महीने पहले - हमें इंतज़ार कितना ये हम नही जानते -खाना जल्दी से बना के रख देना है। वर्ना किचेन में ही आ के बैठ जायेगा। और एक बार बात शुरू होगी तो खतम ही नही होगी। फिर दीदी गुस्सा होंगी। किचेन में ही बै...
6 महीने पहले - महिलाएं जो रक्तदान नहीं कर सकती - उच्च-मध्यम वर्ग से सम्बन्ध रखती महिलाएं एक के बाद एक रक्तदान के लिए अयोग्य निकलती रही. मुझे आश्चर्य हुआ. किसी चीज की कमी इन्हे है नहीं...फिर?
6 महीने पहले - विश्वास - ------------------------------ ओ ! जीवन के थके पखेरू, बढ़े चलो हिम्मत मत हारो, पंखों में भविष्य बंदी है मत अतीत की ओर निहारो, क्या चिंता धरती यदि छूटी उड़ने...
8 महीने पहले - मध्यप्रदेश में बस्तर बनाने की कवायद -मध्यप्रदेश में माओवादी आतंक के बारे में अब सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं। प्रदेश की राजधानी भोपाल में न सिर्फ नक्सली पर्चे और साहित्य बरामद हुए हैं, बल्कि हथ...
8 महीने पहले - एक पुरातत्ववेत्ता की डायरी – ग्यारहवाँ दिन – तीन - *भूख मिटाने का कुछ इन्तज़ाम किया जाए* अजय ने अचानक बीच में सवाल किया “ लेकिन यार इन गुफाओं का पता कैसे चला ? इन तक भी डॉ. वाकणकर जैसा कोई व्यक्ति पहुँचा था...
10 महीने पहले - जाने जां.....!!! - जानां , आज मुझे उन जंगलो की बहुत याद आई , जहाँ , हम हाथ में हाथ डाल कर घूमे थे.. याद है तुम्हे , हम जब घने जंगलो में घूम रहे थे , तो ड्राईवर ने हमें एक स...
11 महीने पहले - विनायक सेन के समर्थन में - *राजद्रोह बनाम देशद्रोह* *राजकिशोर * * * बिनायक सेन को राजद्रोह के लिए उम्रकैद की सजा दी गई है। इसके औचित्य पर काफी बहस हुई है और आगे भी होती रहेगी। इ...
11 महीने पहले - Broccoli Soup - ब्रोकली सूप - ब्रोकली के सूप कई तरह से बनाये जाते हैं. सफेद वेजीटेबल स्टॉक से बना यह ब्रोकली सूप जितना बनाने में आसान है उतना ही पीने में मजेदार.
1 साल पहले - दुनियादारी के दबाव में डगमगाता आत्मविश्वास - मेरी बचपन की सहेली ने, अपनी एक विचित्र समस्या से निज़ात पाने के लिए मुझे फोन किया और कहा,“ रचना! मेरे घर के सामने एक औरत आकर बस गयी है जो बहुत फूहड़ और बदत...
1 साल पहले - दैने बाले सिरी भगवान और इन्तलनेछनल फकील - हफ़्ते के एक नियत दिन खताड़ी और उसके आसपास के मोहल्लों में भीख मांगने आने वाला एक बूढ़ा इतनी ज़्यादा दफ़े अपनी बेहद सड़ियल और भर्राई हुई आवाज़ में दैने बाल...
1 साल पहले - पश्मीना बालों में उलझी समय की गर्मी -उत्तरों से भरे इस दौर में अपर्णा भटनागर की कविताओं की प्रश्नाकुलता बेचैन कर देती है. अगर उनमें सुन्दर की सम्भावना है तो समय की खराशें भी हैं, आकांक्षाओं ...
1 साल पहले - किशोर'दा - ये शाम भी अजीब है…! -किशोर'दा : याद तो हमेशा आते रहते हैं, सो कैसे कहूँ कि आज ज़्यादा याद आए? मगर यह कह सकता हूँ कि आज मन किया कि उनके कुछ गीत सुनाऊँ चाहने वालों को - जो शायद उन...
1 साल पहले - Akhilesh ji ko patr - 27. 9. 10 प्रिय अखिलेश जी, आपका पत्र संख्या 2, दिनांक 21. 9 10 का पत्र मिला। धन्यवाद। आपने पुस्तकें वापिस करने वाले प्रश्न पर जवाब सोच समझकर ही दिया होगा तभ...
1 साल पहले - साहित्य का पर्यावरण यानी भाषा छुट्टी पर -हिन्दी भाषा-साहित्य की ओज़ोन लेयर में छेद हो गया है . तमाम तरह की हानिकारक विकिरणें समूचे साहित्य के पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही हैं . कहीं-कहीं तो स्थिति...
1 साल पहले - अभिशप्त एक और भोपाल! एंडरसन भागा नहीं है !!!! - ये देश में हर जगह पैदा हो रहे भोपाल का किस्सा है ,ये हिंदुस्तान के स्विट्जरलेंड की तबाही का किस्सा है ,ये रिहंद बाँध में अपने महल के साथ डूब गयी रानी र...
1 साल पहले - सिनेमा देखने जाएंगे तो गँवारू ही कहलाएंगे, मूवी देखिए जनाब !! - आप अपने घर को फ्लैट कहना पसन्द करते हैं या अपार्टमेंट ? फिल्म देखने जाएँ तो उसे सिनेमा देखना कहेंगे या मूवी ? भई तय रहा कि आप 'सिनेमा देखने जाएंगे ' तो गँव...
1 साल पहले - साधनाजी,उपासनाजी, उर्फ… - बाबाओँ का हल्ला है। बल्कि दिल्ली के बाबा भीमानंद का विकट कालगर्ली रैकेट देखकर यह नहीं समझ आ रहा है कि अब बाबाजी का कौन सा मुहल्ला है। सारे मुहल्ले ही उनके ...
1 साल पहले - किताबें बचेंगी तो पढ़ना बचेगा, लिखना भी -कई समय से मन था कि कोई ऐसी जगह बने जहां हिंदी किताबों के बारे में नये सिरे से बात हो सके. अगर किताबें होंगी तो लिखना और पढ़ना भी बचा रहेगा. हमारी ये बातचीत...
1 साल पहले - औक़ात में रखनेवाले... - यार ये तो वही है जो महिलाओं के बारे में बकवास करती रहती है। ये कहते ही मेरे कान खड़े हो गए। स्वभाव और आवाज़ दोनों में ही मैं तेज़ हूँ। और मैंने कहा हाँ ठीक ह...
3 साल पहले
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