क्या आप भी परेशान है उन व्यक्तियों से जो आप की किसी भी स्क्रिप्ट पर जब अपना दावा पेश करे
shanu jaiswal
ये दोनों ब्लॉग ही मनोज जैसवाल के है जो कि ये इसको के अलग नाम से संचालित करके खुद है अपने उपरोक्त ब्लॉग पर जा कर खुद ही टिप्पणी करके अपने ब्लॉग को लोकप्रिय बनाने के लिए हथकंडे के तौर पर इस्तेमाल करते हैं | ये है उनकी कल की दुनिया के मुखपृष्ठ की तस्वीर आप इस तस्वीर को नीचे देख सकते हैं
अब जरा इस फेसबुक के बटन के पास ही "Be our Fan" पर कलिक करके देखें ये आपको मनोज जैसवाल के फेसबुक पेज पर ले जायेगा आप इसे उपरोक्त से दाईं तरफ की तस्वीर में देख सकते हैं
मनोज जी शायद इन तस्वीरों को भी नकार सकते हैं | आप इस क्रिया को निम्न विडियो में भी देख सकते हैं जिसको नकारना इनके लिए लगभग नामुमकिन होगा | मैंने इसे यू-ट्यूब पर अपलोड किया है | आप खुद चैक करे इन की प्रमाणिकता को और फिर फैसला कीजिए |
YOu tube link are given below. http://youtu.be/AnS4yQhyosc
इसके इलावा देखिये इनका एक और ब्लॉग जो मनोज जी संचालित करते हैं और खुद ही अपने ब्लॉग पर जा कर टिप्पणी करते हैं | देखिये निम्न तस्वीर में :-
"मज़ेदार दुनिया" ये ब्लॉग भी इनका ही है |
अब इनके बारे में क्या लिखा जाए ये ब्लॉग तो मेरी नज़र में आये हैं | हो सकता है इनके कुछ ब्लॉग "Wordpress" पर भी हों और ये छदम नामों से अपने हरेक ब्लॉग पर जाकर टिप्पणी भी करते हों जैसा की मैंने आपको उपरोक्त तस्वीर में दिखाया है | ये ऐसा शायद इसलिए करते हैं की इन्हें ज्यादा ज्यादा से ब्लोगर फोलो करें ज्यादा ज्यादा से ज्यादा टिप्पणियां करें | इनकी माया ये ही जाने | मैं तो नहीं जान सकता क्योंकि मैं तो एक अदद छोटा सा नया सा ब्लोगिंग करने वाला लेखक हूँ मेरी इतनी भी बिसात नहीं कि मैं चार पांच या सात ब्लॉग एक साथ चला सकूं | मैं तो बस ये चाहता हूँ कि इस प्रकार की अनावश्यक छींटाकशी "बिना उस स्क्रिप्ट की तह में जाए जो किसी भी ब्लोगर द्वारा अपने ब्लॉग पर प्रदर्शित की गयी है" की जाए |
अगर इस प्रकार के लेखक ये भी नहीं कर सकते तो फिर तो खुदा ही बचाए इनके कहर से नए ब्लॉगिंग करने वालों को | कयोंकि इनके जैसे विद्वान जैसे कालेज में सीनिअर छात्र अपने से जूनियर छात्रों से रैगिंग के नाम पर कुछ भी अनाप शनाप करवाने में विश्वास रखते हैं वैसे ही ये भी चाहते हैं के उनके जैसे स्क्रिप्ट का कोई और इस्तेमाल न करे चाहे ये स्क्रिप्ट उनकी स्क्रिप्ट से बिलकुल जुदा हो | ये शायद ये भी नहीं जानते कि उन द्वारा पेश की गयी स्क्रिप्ट "CSS" पर आधारित हैं और जो स्क्रिप्ट मैंने अपने ब्लॉग में आप अभी के समक्ष प्रस्तुत की थी वो "JavaScript" आधारित थी | व इस स्क्रिप्ट में कहीं भी किसी कोड का इस्तेमाल करने को नहीं कहा गया | इस लेख में सिर्फ इतना कहा गया कि आप इस स्क्रिप्ट को <head> के ऊपर पेस्ट कर दें इसके साथ ही मैंने आप सभी से निवेदन किया था कि जो ब्लोगर टेम्पलेट के एडिट मोड में नहीं जाना चाहते वो इस स्क्रिप्ट का इस्तेमाल बिना एडिट टेम्पलेट मोड में जावे "HTML/JavaScrip" विजेट का इस्तेमाल करके उसमें इस कोड को पेस्ट करके इस विजेट को अपने ब्लॉग के साइड बार में लगा लें ये स्क्रिप्ट तब भी काम करेगी आप इसका के नमूना मेरे दूसरे ब्लॉग "सरकारी अधिसूचनाएं"पर देख सकते हैं |
मनोज जी कहना है कि कोड को टेम्पलेट के एडिट मोड में जा कर लगाने की क्या जरूरत है जबकि कोड बिना एडिट मोड के ही काम कर सकता है | यदि उनकी माने तो टेम्पलेट के एडिट मोड का अविष्कार ही क्यों होता या एडिट मोड ब्लॉग में रखा ही क्यों जाता ? बहुत से ऐसे प्रशन है जिनका वो तमाम उम्र जवाब नहीं दे पायेंगे | यदि उनकी माने कि एडिट मोड में जाए बिना ही सब कोड का इस्तेमाल किया जाए तो आप सभी को पोस्ट के लिए एडिट पोस्ट एडिटर की जरूरत ही क्या थी व उस पोस्ट एडिटर में जो आप्शन लगाई गई है वो आप सब को कैसे नज़र आती | ये सब बैकएंड में लगाये गए कोड से ही संभव है अन्यथा आपको अपनी एक पोस्ट के लिए भारी भरकम कोड हर बार लिखना पड़ता | जो हर किसी के लिए खासकर नए ब्लॉगर के लिए तो संभव ही नहीं था | अदृश्य कोड के बदौलत ही आज हम आसानी से अपनी किसी भी पोस्ट को कोड की जानकारी न होते हुए भी लिख लेते हैं | ऐसे लोग ( मनोज जी शानू जायसवाल ये भी इनका ही ब्लॉग है जो ये अलग नाम से चलाते हैं व खुद अपने दूसरे ब्लॉग पर जा कर टिप्पणी करते हैं ) खुद टेम्पलेट के एडिट मोड में जाने से डरते ही नहीं दूसरों को भी भ्रमित करते हैं कि वो ऐसा न करें | इन जैसे व्यक्तियों पर ये निम्न पंक्तियाँ सटीक बैठती हैं |
जिन ढूंढा तिन पाइयां , गहने पानी पैठि।
मैं जो बावरा डूबन डरा , रहा किनारे बैठि || एक और खास बात इनके द्वारा पेश स्क्रिप्ट को लगाने से आपके ब्लॉग पर दाईं तरफ नीचे की और एक बटन हर वक्त उभरा रहता है जिस पर एरो के साथ टॉप लिखा होता है | इस स्क्रिप्ट के बारे में स्पष्ट करना चाहूँगा के इन के द्वारा पेश की गई स्क्रिप्ट जावा स्क्रिप्ट आधारित न हो कर CSS Based है जिसके कारण ये बटन हर वक्त आपके ब्लॉग ने निचली तरफ दाएं कोने में सक्रीय रहता है | इसका एक उदाहरण इस ब्लॉग पर देख सकते हैं | जबकि मेरे लेख में जो स्क्रिप्ट पेश की गयी थी वो जावा स्क्रिप आधारित थी जो "Hidden" मोड में काम करती है ये बटन तभी सक्रीय होता है जब आप पेज को स्क्रोल करके नीचे की तरफ जाते हैं अन्यथा ये बटन "हाइड" रहता है और ये उस पेज के अंत में जाने पर भी गायब नहीं होता | इसके इलावा इस जावा स्क्रिप्ट में एक और खास बात है वो ये कि इस में पेज को ऊपर की तरफ ऑटोमैटिक स्क्रोल करने के लिए इस की गति को नियंत्रित किया गया है | इसलिए इस स्क्रिप्ट के इस्तेमाल करने पर पेज ऊपर किए स्क्रोल होते समय एक नियंत्रित स्पीड के साथ स्लाइड हो कर ऊपर जाता है | आप इससे अंदाज़ा लगा सकते हैं कि मेरे द्वारा पेश की गयी स्क्रिप्ट इनकी स्क्रिप्ट से कितना जुदा हैं | और हां एक और बात ये जिस स्क्रिप्ट का दावा कर रहे हैं उस स्क्रिप्ट को तो मैं बहुत पहले से जानता हूँ और इस प्रकार के स्क्रिप्ट का प्रयोग मैं बहुत से अन्य ब्लॉग पर देख चुका हूँ | मैं खुद आपनी साईट cityjalalabad.com पर इसका प्रयोग कर चुका हूँ | फ़िलहाल मैंने इस साईट का नवीनीकरन नहीं करवाया है वो भी इसलिए कि जब अपने विचार रखने के लिए फ्री में एक प्लेटफार्म उपलब्ध है तो उसके लिए खर्च क्यों किया जाए | जो स्क्रिप्ट मैंने आप सबकी जानकारी के लिए प्रस्तुत की थी वो हिंदी ब्लॉग जगत के लिए नई थी और मैंने पाया है की इस स्क्रिप्ट को इससे पहले किसी भी हिंदी के ब्लॉग पर प्रयुक्त नहीं किया गया | मनोज जी दावा करते हैं कि इस प्रकार की स्क्रिप्ट ये मुझसे पहले इस्तेमाल कर चुके हैं तो वो इस स्क्रिप्ट का समय व तिथि का उल्लेख समेत लिंक करे |
इस स्क्रिप्ट को कापी करने का इलज़ाम लगाते हुए इन्होने मेरी एक कम्प्लेंट ब्लॉगप्रहरी टीम से भी की थी | ब्लॉगप्रहरी टीम ने उनसे इनकी पोस्ट के प्रकाशन की तारीख व मेरी पोस्ट की प्रकाशन की तारीख तथ्यों सहित प्रस्तुत करने के लिए कहा था | आप इस के सत्यता के लिए निम्न तस्वीर को देख सकते हैं |
आप इस पूरी पोस्ट का एक स्क्रीनशाट यहाँ पर इस तस्वीर पर कलिक करके देख सकते हैं |
लेकिन इन्होने कनिष्क कश्यप जी के इस कमेन्ट्स की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया व अपनी वो ही कारगुजारी जारी रखी |
मैंने इस विषय पर एक ई-मेल ब्लॉगप्रहरी टीम से तथ्यों सहित की थी व उन्होंने मेरे इस तथ्य को अपनी कसौटी पर खरा पाया व मुझे ई-मेल द्वारा सूचित भी किया की आपका दावा सही है व मनोज जी जो दावा कर रहे हैं वो गल्त है | आप इसका एक प्रूफ निम्न तस्वीर में देख सकते हैं |
हालाँकि कि ब्लॉग प्रहरी टीम द्वारा मनोज जी के ब्लॉग पको प्रतिबंधित करने की बात की गई थी लेकिन मैंने इस के प्रयुत्तर में 22 OCT 2011 को अपने फैसले द्वारा ऐसा न करने का अनुरोध किया था लेकिन उन्हें इस प्रकार की कोई भी ग्लानि या आत्मबुध नहीं है कि कि उन्होंने कुछ गल्त किया है |
ब्लॉग प्रहरी टीम द्वारा आपत्ति करने के बावजूद ये अपने ब्लॉग पर एक खेद प्रकाशित करने के बजाय ये साबित करने में जुटे हैं कि ये सही हैं व उनक ब्लॉग पर कमेन्ट्स करने वाले भी शायद किसी को कसौटी पर परखे बिना है उनके हाँ में हाँ मिलते हैं | या तो वो किसी भी सच्चाई को जानना नहीं कहते या वो जानते हुए भी अनजान बने रहना चाहते हैं | खैर ये तो उनके अपने सोचने का ढंग है या उन का अपना नजरिया | अब ये तो पाठक ही तय करेंगे उनके इस दावे में कितनी सच्चाई हैं |
"मज़ेदार दुनिया" ये ब्लॉग भी इनका ही है |
अब इनके बारे में क्या लिखा जाए ये ब्लॉग तो मेरी नज़र में आये हैं | हो सकता है इनके कुछ ब्लॉग "Wordpress" पर भी हों और ये छदम नामों से अपने हरेक ब्लॉग पर जाकर टिप्पणी भी करते हों जैसा की मैंने आपको उपरोक्त तस्वीर में दिखाया है | ये ऐसा शायद इसलिए करते हैं की इन्हें ज्यादा ज्यादा से ब्लोगर फोलो करें ज्यादा ज्यादा से ज्यादा टिप्पणियां करें | इनकी माया ये ही जाने | मैं तो नहीं जान सकता क्योंकि मैं तो एक अदद छोटा सा नया सा ब्लोगिंग करने वाला लेखक हूँ मेरी इतनी भी बिसात नहीं कि मैं चार पांच या सात ब्लॉग एक साथ चला सकूं | मैं तो बस ये चाहता हूँ कि इस प्रकार की अनावश्यक छींटाकशी "बिना उस स्क्रिप्ट की तह में जाए जो किसी भी ब्लोगर द्वारा अपने ब्लॉग पर प्रदर्शित की गयी है" की जाए |
मनोज जी कहना है कि कोड को टेम्पलेट के एडिट मोड में जा कर लगाने की क्या जरूरत है जबकि कोड बिना एडिट मोड के ही काम कर सकता है | यदि उनकी माने तो टेम्पलेट के एडिट मोड का अविष्कार ही क्यों होता या एडिट मोड ब्लॉग में रखा ही क्यों जाता ? बहुत से ऐसे प्रशन है जिनका वो तमाम उम्र जवाब नहीं दे पायेंगे | यदि उनकी माने कि एडिट मोड में जाए बिना ही सब कोड का इस्तेमाल किया जाए तो आप सभी को पोस्ट के लिए एडिट पोस्ट एडिटर की जरूरत ही क्या थी व उस पोस्ट एडिटर में जो आप्शन लगाई गई है वो आप सब को कैसे नज़र आती | ये सब बैकएंड में लगाये गए कोड से ही संभव है अन्यथा आपको अपनी एक पोस्ट के लिए भारी भरकम कोड हर बार लिखना पड़ता | जो हर किसी के लिए खासकर नए ब्लॉगर के लिए तो संभव ही नहीं था | अदृश्य कोड के बदौलत ही आज हम आसानी से अपनी किसी भी पोस्ट को कोड की जानकारी न होते हुए भी लिख लेते हैं | ऐसे लोग ( मनोज जी शानू जायसवाल ये भी इनका ही ब्लॉग है जो ये अलग नाम से चलाते हैं व खुद अपने दूसरे ब्लॉग पर जा कर टिप्पणी करते हैं ) खुद टेम्पलेट के एडिट मोड में जाने से डरते ही नहीं दूसरों को भी भ्रमित करते हैं कि वो ऐसा न करें | इन जैसे व्यक्तियों पर ये निम्न पंक्तियाँ सटीक बैठती हैं |
जिन ढूंढा तिन पाइयां , गहने पानी पैठि।
मैं जो बावरा डूबन डरा , रहा किनारे बैठि ||
इस स्क्रिप्ट को कापी करने का इलज़ाम लगाते हुए इन्होने मेरी एक कम्प्लेंट ब्लॉगप्रहरी टीम से भी की थी | ब्लॉगप्रहरी टीम ने उनसे इनकी पोस्ट के प्रकाशन की तारीख व मेरी पोस्ट की प्रकाशन की तारीख तथ्यों सहित प्रस्तुत करने के लिए कहा था | आप इस के सत्यता के लिए निम्न तस्वीर को देख सकते हैं |
आप इस पूरी पोस्ट का एक स्क्रीनशाट यहाँ पर इस तस्वीर पर कलिक करके देख सकते हैं |
लेकिन इन्होने कनिष्क कश्यप जी के इस कमेन्ट्स की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया व अपनी वो ही कारगुजारी जारी रखी |
मैंने इस विषय पर एक ई-मेल ब्लॉगप्रहरी टीम से तथ्यों सहित की थी व उन्होंने मेरे इस तथ्य को अपनी कसौटी पर खरा पाया व मुझे ई-मेल द्वारा सूचित भी किया की आपका दावा सही है व मनोज जी जो दावा कर रहे हैं वो गल्त है | आप इसका एक प्रूफ निम्न तस्वीर में देख सकते हैं |
हालाँकि कि ब्लॉग प्रहरी टीम द्वारा मनोज जी के ब्लॉग पको प्रतिबंधित करने की बात की गई थी लेकिन मैंने इस के प्रयुत्तर में 22 OCT 2011 को अपने फैसले द्वारा ऐसा न करने का अनुरोध किया था लेकिन उन्हें इस प्रकार की कोई भी ग्लानि या आत्मबुध नहीं है कि कि उन्होंने कुछ गल्त किया है |
ब्लॉग प्रहरी टीम द्वारा आपत्ति करने के बावजूद ये अपने ब्लॉग पर एक खेद प्रकाशित करने के बजाय ये साबित करने में जुटे हैं कि ये सही हैं व उनक ब्लॉग पर कमेन्ट्स करने वाले भी शायद किसी को कसौटी पर परखे बिना है उनके हाँ में हाँ मिलते हैं | या तो वो किसी भी सच्चाई को जानना नहीं कहते या वो जानते हुए भी अनजान बने रहना चाहते हैं | खैर ये तो उनके अपने सोचने का ढंग है या उन का अपना नजरिया | अब ये तो पाठक ही तय करेंगे उनके इस दावे में कितनी सच्चाई हैं |
मी |
Unrated
|
Tags/Lebel : HTML ट्रिक्स , लाल किताब , हिंदी ब्लॉग लिस्ट , सोफ्टवेयर , काव्य मंच , फोटोशाप टिप्स
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4 comments:
वैसे मनोज जी को इस तरह किसी भी स्क्रिप्ट पर विवाद नहीं करना चाहिए था क्योंकि किसी एक ही कार्य के लिए कोई दो व्यक्ति अलग-अलग स्क्रिप्ट बनायेंगे तो हो सकता है वे एक जैसी हो| तो इसका मतलब ये तो नहीं कि वो कॉपी की हुई है|
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