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Sunday, January 15, 2012

रचनाकार को अपना अमूल्य सहयोग दें


28 सितम्बर 2005

रचनाकार को अपना अमूल्य सहयोग दें...


रचनाकार में महज कुछ  वर्षों के दौरान हजारों हजार रचनाएं प्रकाशित हुई हैं जिनमें कई एक तो पूरे कहानी संग्रह, कविता संग्रह, यात्रा संस्मरण, संपूर्ण उपन्यास इत्यादि भी शामिल हैं. दर्जनों ई-बुक भी प्रकाशित किए गए हैं, जिन्हें मुफ़्त में डाउनलोड कर पढ़ा जा सकता है. रचनाकार को प्रतिवर्ष लाखों पाठक पढ़ते हैं. रचनाकार के इस बढ़ते कदम में आप भी अपना अमूल्य सहयोग प्रदान कर सकते हैं.

कैसे?

अपनी स्वयं की, मित्रों की रचनाएँ कम्प्यूटर पर किसी भी फ़ॉन्ट में टाइप कर अथवा टाइप करवाकर रचनाकार को ईमेल या सीडी के जरिए भिजवाएँ.

पुरानी, रॉयल्टी फ्री हिन्दी साहित्य की रचनाएँ जिन्हें आपको लगता है कि इंटरनेट पर होनी चाहिएँ उन्हें कम्प्यूटर पर टाइप कर / टाइप करवाकर रचनाकार को भेजें.

औसतन एक ए-4 आकार के पृष्ठ को टाइप करने का खर्च 10 रुपए ($1/4) के करीब आता है. कोई रचना यदि आप इंटरनेट पर देखना चाहते हैं, और उसके लिए इस रूप में सहयोग करना चाहते हैं व राशि दान करना चाहते हैं तो कृपया रचनाकार को rachanakar@gmail.com पर लिखें. यदि आपके पास पेपाल (PAYPAL) का खाता है तो आप raviratlami@yahoo.com खाते पर किसी भी राशि का अनुदान दे सकते हैं. यदि आप चाहेंगे तो आपका नाम अनुदान कर्ता के रूप में इन्ही पृष्ठों में शामिल किया जा सकेगा.

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इंटरनेट पर ‘रचनाकार’ में प्रकाशनार्थ रचनाओं के लिए नियम निम्न हैं-

रचनाओं के लिए अप्रकाशित-अप्रसारित जैसा कोई बंधन नहीं है. बल्कि प्रिंट मीडिया में पूर्व प्रकाशित श्रेष्ठ रचनाओं को रचनाकार पर प्रकाशनार्थ भेजें तो उत्तम होगा. कृपया ध्यान दें - इंटरनेट एक विशाल किताब की तरह है. यहाँ कंटेंट डुप्लीकेशन का कोई विशेष अर्थ नहीं है. अतः इस बात का विशेष ध्यान रखें कि कृपया अपने ब्लॉग या इंटरनेट पर अन्यत्र प्रकाशित रचनाओं को रचनाकार में प्रकाशनार्थ नहीं भेजें.

रचनाएँ ईमेल के ज़रिए भेजें तो हमें सुविधा होगी. रचना भेजने के लिए ईमेल पता है:rachanakar@gmail.com रचना हिन्दी के किसी भी फ़ॉन्ट या फ़ॉर्मेट में भेज सकते हैं. ईमेल के जरिए रचना भेजना संभव न हो तो डाक के निम्न पते पर भी रचनाएँ सीडी में राइट करवाकर भेजी जा सकती हैं.

डाक का पता- रचनाकार, द्वारा- रविशंकर श्रीवास्तव, एफ़2आर 4/3 , प्रोफ़ेसर कॉलोनी, भोपाल मप्र भारत

रचनाकार का प्रकाशन अवैतनिक, अव्यावसायिक, सर्वजन हिताय किया जा रहा है, अत: किसी भी प्रकार का मानदेय इत्यादि प्रदान करना संभव नहीं होगा.
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अपनी रचना इंटरनेट पर प्रकाशित करते-करवाते समय निम्न बातों का ध्यान रखें –

हिन्द युग्म में एक पोस्ट प्रकाशित हुई है - "किसी अन्य की रचना को अपना कहने का जोखिम ना लें, इंटरनेट आपकी चोरी पकड़ लेगा". इसी तारतम्य में देखा जा रहा है कि इंटरनेट पर लगभग मुफ़्त में (आमतौर पर ब्लॉगों में) छपाई की सुविधा हासिल हो जाने के बाद अचानक हर कोई अपनी रचना हर संभव तरीके से इंटरनेट पर हर कहीं लाने को तत्पर दीखता है. देखने में आया है कि इंटरनेट पर रचनाकार अपनी रचना रचनाकार में प्रकाशित करने भेज रहा है तो साथ साथ साहित्य शिल्पी, हिन्द युग्म, अनुभूति-अभिव्यक्ति, सृजन-गाथा, शब्दकार और ऐसे ही दर्जनों अन्य जाल-प्रकल्पों पर भी अपनी वही रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज रहा है. कुछ अति उत्साही किस्म के लोग अपनी ब्लॉग रचनाओं को एक-दो नहीं, बल्कि तीन-तीन, चार-चार जगह पर छाप रहे हैं. परंतु इसका कोई अर्थ, कोई प्रयोजन है? शायद नहीं. दरअसल, ऐसा करके हम इंटरनेट पर और ज्यादा कचरा फैला रहे होते हैं. आप सभी सुधी रचनाकारों से आग्रह है कि इंटरनेट पर रचनाएँ प्रकाशित करते समय निम्न बातों का ध्यान रखें तो उत्तम होगा -

(1) 
यदि आपका अपना स्वयं का ब्लॉग है, तो उसमें पूर्व प्रकाशित रचनाओं को फिर से प्रकाशनार्थ न भेजें. इंटरनेट एक बड़े खुले किताब की तरह है. जिसमें सर्च कर किसी विशेष पृष्ठ पर आसानी से व तुरंत जाया जा सकता है. एक ही रचना को कई-कई पृष्ठों पर प्रकाशित करने का कोई अर्थ नहीं है. इंटरनेट पर अप्रकाशित (प्रिंट मीडिया में पूर्व प्रकाशित का तो स्वागत है) रचनाओं को ही इंटरनेटीय पत्रिकाओं को प्रकाशनार्थ भेजें. रचना एक ही इंटरनेट पत्रिका को भेजें. एक पत्रिका में प्रकाशित रचना को, अपवादों को छोड़कर, अन्य दूसरी पत्रिका में प्रकाशित न करवाएँ. आमतौर पर रचनाएँ जल्द ही प्रकाशित हो जाती हैं क्योंकि इंटरनेटी पत्रिकाओं में पृष्ठ सीमा इत्यादि का बंधन नहीं होता. आपको ईमेल से त्वरित सूचना भी प्राप्त हो जाती है. रचना के प्रकाशन के उपरांत आप चाहें तो अपने ब्लॉग में संक्षिप्त विवरण देकर उसका लिंक लगा सकते हैं.

(2) 
यह अवधारणा गलत है कि जितनी ज्यादा जगह में एक रचना प्रकाशित होगी उतना ज्यादा लोग पढ़ेंगे. 5-10 प्रतिशत शुरूआती हिट्स भले ही ज्यादा मिल जाएं, परंतु अंतत: लंबे समय में खोजबीन कर बारंबार पठन पाठन में वही रचना प्रयोग में आएगी जिसमें स्तरीय, सारगर्भित सामग्री होगी. लोगबाग खुद ही ब्लॉगवाणी पसंद जैसे पुस्त-चिह्न औजारों (भविष्य में ऐसे दर्जनों औजारों के आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता) का प्रयोग आपकी रचना को लोकप्रिय बनाने में करेंगे. अत: रचना इंटरनेट पर एक ही स्थल में प्रकाशित करें. यदि आपका अपना स्वयं का ब्लॉग या जाल-स्थल है तो आपकी रचना के लिए इंटरनेट पर इससे बेहतर और कोई दूसरा स्थल नहीं. यदि आप अपना स्वयं का डोमेन लेकर रचनाएँ प्रकाशित कर रहे हैं तब भी यह अनुशंसित है कि वर्डप्रेस या ब्लॉगर जैसे सदा सर्वदा के लिए मुफ़्त उपलब्ध प्रकल्पों के जरिए अपनी रचना प्रकाशित करें, व डोमेन पते से रीडायरेक्ट करें. कल को हो सकता है कि आप डोमेन का नवीनीकरण करवाना भूल जाएं, या फिर कोई पचास साल बाद आपके वारिसों को आपका डोमेन फालतू खर्च वाला लगने लगे.

(3) 
रचना ईमेल से भेजने के पश्चात् एक सप्ताह का समय दें. आमतौर पर इतने समय में इंटरनेटी पत्रिकाओं से प्रकाशन बाबत सूचना रचनाकारों तक पहुँच जाती है. उसके पश्चात् ही रचनाएं दोबारा भेजें. यदि संभव हो तो रचना दोबारा भेजने से पहले पूछ-ताछ कर लें, ताकि बार बार बड़ी फाइलों को अपलोड-डाउनलोड करने से बचा जा सके. आमतौर पर अच्छी प्रकाशन योग्य रचना को त्वरित ही प्रकाशित कर दिया जाता है. यदि रचना स्मरण दिलाने के बाद भी प्रकाशित नहीं होती हो तो कृपया अन्यथा न लें, क्योंकि बहुधा फरमा में नहीं बैठ पाने के कारण रचना प्रकाशित नहीं हो पाती. साथ ही हर रचना के बारे में प्रत्युत्तर की आशा न रखें. आधुनिक इंटरनेटी युग में सबसे कीमती वस्तु है समय. समयाभाव और साधनाभाव में बहुधा प्रत्येक को प्रत्युत्तर दे पाना संभव नहीं होता. अतः कृपया कृपा बनाए रखें. धैर्य भी.

(4)
इंटरनेटी पत्रिका का स्वरूप, उसका तयशुदा फरमा, सामग्री इत्यादि को एक बार देख लेने के उपरांत ही अपनी रचनाएँ भेजें. इंटरनेट का प्रचार प्रसार चहुँओर फैलने से सामग्री की स्तरीयता में तेजी से कमी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. साथ ही, आमतौर पर इंटरनेट के साहित्यिक प्रकल्प रचनाकार जैसे स्थल राजनीतिक आलेख व टिप्पणियाँ प्रकाशित नहीं करते हैं, अत: इन्हें प्रकाशनार्थ न भेजें. इस तरह की तमाम सामग्री आप अपने ब्लॉग में बेधड़क प्रकाशित कर सकते हैं. यदि आपका ब्लॉग नहीं है तो, यकीन मानिए, ब्लॉग बनाना और उसमें लिखना बेहद आसान है. बाजू पट्टी में दी गई कड़ियों से और जानकारी प्राप्त करें.

(5)
इंटरनेटी पत्रिकाओं के संपादकों से आग्रह है कि रचना के प्रकाशन से पूर्व वे रचना की कोई शुरूआती पंक्ति गूगल सर्च में डालकर देख लें कि वह कहीं पूर्व प्रकाशित तो नहीं है. यदि रचना पूर्व प्रकाशित है तो रचयिता को सूचित करें, और अपवाद स्वरूप कुछ विशिष्ट रचनाओं को छोड़ कर आमतौर पर इंटरनेट पर पूर्व प्रकाशित रचना को फिर से प्रकाशित न करें. पहले जब यूनिकोड प्रचलित नहीं था, तब एक ही रचना के शुषा, कृतिदेव, अर्जुन इत्यादि फोंटों में अलग अगल स्थलों पर प्रकाशित होने की बात तो ठीक थी, परंतु अब इसकी न तो जरूरत है, न ही प्रयोजन.

(6) 
यदि आप पुराने फ़ॉन्टों में लिख रहे हैं, तो इंटरनेट पर बहुत ही खूबसूरत ऑनलाइन फ़ॉन्ट कन्वर्टर यहाँ पर उपलब्ध है. उसमें अपनी रचना यूनिकोड में परिवर्तित करें, फिर गूगल डॉक में (यदि खाता नहीं है तो एक खाता खोल लें) हिन्दी वर्तनी की जांच (हालांकि यह उतना उन्नत नहीं है, मगर काम लायक तो है ही) कर लें. इस तरह से वर्तनी की जाँच कर ली गई, यूनिकोड में परिवर्तित रचना को प्रकाशनार्थ भेजें तो निश्चित तौर पर ऑनलाइन पत्रिकाओं के संपादक आपके अनुग्रही रहेंगे.


शुभकामनाओं के साथ,

आपका,

रविशंकर श्रीवास्तव

20 प्रतिक्रियाएँ.:

  1. आलोकSep 28, 2005 04:54 AM
    विंडोज़ 95/98 में इसे नहीं देखा जा सकता, 
    देखा जा सकता है, यदि इण्टर्नेट ऍस्स्पलोरर 5.5+ हो तो।
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  2. RaviratlamiSep 28, 2005 10:04 PM
    विंडोज़ 95/98 में मोज़िल्ला / ऑपेरा के द्वारा यूनिकोड हिन्दी - हग जैसे औज़ार का इस्तेमाल कर लिखा भी जा सकता है.

    परंतु लोग डिफ़ॉल्ट स्थापित ब्राउज़र को ही अद्यतन नहीं करते!
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  3. आलोकSep 29, 2005 12:42 AM
    अद्यतन यानी - अप्ग्रेड?
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  4. RaviratlamiSep 29, 2005 11:42 PM
    जी, हाँ, अपग्रेड के लिए अद्यतन ही इस्तेमाल किया जा रहा है. कोई सरल सा शब्द दिमाग में आए तो बताएँ.

    रहा सवाल यूनिकोड देखने का, तो जिन रचनाकारों की हिन्दी में रचनाएँ यहाँ छपी हैं, उनमें से अधिकांश चाह कर भी अपनी रचना को देख-पढ़ नहीं पा रहे हैं क्यों कि उनके आस-पास ऐसा तकनीशियन नहीं है जो ब्राउज़र वगैरह अपग्रेड कर सके या विंडोज़ एक्सपी डाल कर चला सके!

    और, अपने यहाँ के साइबर कैफ़े, तो बस!
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  5. अनुनाद सिंहOct 1, 2005 03:29 AM
    आपका संजाल पर प्रकाशन के बारे मे व्यक्त विचार बहुत ही सटीक और विचारोत्तेजक लगा ।

    यह जानकारी कि लोग चाहकर भी हिन्दी नहीं पढ पा रहे हैं , हमारी आँखें खोलने वाली है । शायद इसी तरह के तुच्छ कारण ही संजाल पर हिन्दी के विकास की राह के सबसे बडे रोडे हैं ।

    लेकिन इतना जल्दी निराश हो जाना ठीक नहीं है । आपका सम्पादकों को लिखा गया पत्र बहुत सही कदम है । इसी तरह कुछ चर्चा-समूहों में भी लिख दिया जाय ।

    लेकिन मुझे एक बात का डर है । " रचनाकार " एक ऐसा प्रयास है जो अपनी जडें खुद खोदता है । जब लोग संजाल पर हिन्दी लिखना-पढना जान जायेंगे , तो अपना खुद का साईट आरम्भ कर देंगें । और ..
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  6. sanjayFeb 9, 2008 09:38 PM
    rachanakar ji ,maine aapko velentine serve ke liye kuch matter send kiya tha aapne meri baat kyon nahi maani ishe hamhe ye fayda tha ki hum 2000 logon ko apne blog se bakif kara sakhte they par aap ne nahi chahha phir bhi main aapko apni rachanaye bahut jaldi send kar raha hoon!
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  7. maniJun 29, 2008 07:40 PM
    आज फिर मौसम भीगा भीगा सा है
    आज फिर उस महक ने मुझे इक पल को
    रोक दिया उसी राह पर
    वो महक,
    हल्की बरसात के बाद हरियाली और मिटृटी
    की सौंधी महक
    आज फिर में उस रास्ते से गुजरी
    जहां से तुम आगे निकल गये थे
    मैं वहीं रह गयी थी अकेली सी
    तुम्हारे आगे निकलने और मेरे अकेले रहने
    के बीच बहुत कुछ बदला
    लेकिन नहीं बदली तो महक
    हरियाली और मिट्टी की सौंधी महक


    ये ´सौंधी महक का अहसास` एक कहानी का हिस्सा हैं लेकिन वह कहानी अभी अधूरी है------ इस अधूरेपन में भी कहानी साफ हैं। अधूरेपन का अलग प्रकार का सुख।
    Manvinder bhimber
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  8. krishanJul 23, 2010 07:28 AM
    ravishankar ji aapka yeh prayaas vastav mien srahniya hai. meri taraf se hardik subhkamnaye
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  9. bahujankathaJul 30, 2010 06:06 PM
    नया इंटरनेट यूज़र बना हूँ। आशा करता हूँ कि भविष्य में नेट पर अपनी उपस्थिति दर्ज कर सकूँ। रचनाकार नहीं हूँ लेकिन पाँच-छः सालों से इच्छा बहुजन की बात सामने लाने की है, दृष्टि लोकतंत्र के अंतिम व्यक्ति पर है। देखें कब तक अपने इरादों को कब तक फलीभूत कर पाता हूँ।
    हाँ, एक निवेदन अवश्य चाहूँगा कि रचना के साथ ही रचनाकारों की जानकारी भी उपलब्ध हो पाए तो।
    प्रत्‍युत्तर दें
  10. anaSep 11, 2010 07:53 AM
    maine apni rachana bhej diya hai......prakashan yogya ho to mujhe kripaya suchit kare.....dhanyavaad
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  11. PREM NARAYAN AHIRWALSep 16, 2010 12:11 AM
    आपकी सराहनीय सार्थक पहल काबले तारीफ है
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  12. KISHORE DIWASENov 16, 2010 02:24 AM
    रचनाकार निःसंदेह एक श्रेष्ठ अनुभूति है .इसमें उन्मुक्त विचरण करना मन को काफी सुकून देने वाला है. समय मिलते है भागीदारी निभाने का प्रयास करूंगा.-किशोर दिवसे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
    प्रत्‍युत्तर दें
  13. KISHORE DIWASENov 16, 2010 02:26 AM
    रचनाकार निःसंदेह एक श्रेष्ठ अनुभूति है .इसमें उन्मुक्त विचरण करना मन को काफी सुकून देने वाला है. समय मिलते है भागीदारी निभाने का प्रयास करूंगा.-किशोर दिवसे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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  14. kakkuNov 28, 2010 07:15 PM
    मेरे पास शब्‍द ही नहीं है आपका शुक्रिया अदा करने के लिए।
    लेकिन यदि आप मेरे बडे भाई बनने को तैयार हों तो मै आपके प्रति अपना प्रेम प्रकट कर दूं।
    आपके बारे में यशवंत ने बताया था। भडास4मीडिया वाले यशवंत। हिन्‍दी टाइपिंग के जो गुर आपके इस ब्‍लाग से मिले, वह अप्रतिम हैं।
    कभी मेरे लायक कोई आदेश हो तो तत्‍काल बताइयेगा।
    आपका,
    कुमार सौवीर
    लखनऊ
    प्रत्‍युत्तर दें
  15. बेनामीFeb 4, 2011 08:40 AM
    thik hai
    प्रत्‍युत्तर दें
  16. बेनामीMar 5, 2011 10:56 PM
    विदेओचास्ट एक अच्छा प्रयास है . वीडियो का स्तर कुछ हल्का था पर ध्वनि ठीक थी. बहुत अच्छा लगता है किसी कवी को अपने सम्मुख कविता पाठ करते देखना. शीघ्र ही अपनी कुछ रचनाएँ विडियो पर भेजने का प्रयत्न करू गा . धन्यवाद
    प्रत्‍युत्तर दें
  17. बेनामीMar 5, 2011 10:57 PM
    विदेओचास्ट एक अच्छा प्रयास है . वीडियो का स्तर कुछ हल्का था पर ध्वनि ठीक थी. बहुत अच्छा लगता है किसी कवी को अपने सम्मुख कविता पाठ करते देखना. शीघ्र ही अपनी कुछ रचनाएँ विडियो पर भेजने का प्रयत्न करू गा . धन्यवाद

    हरीश नारंग
    प्रत्‍युत्तर दें
  18. रचनाकार की अनुभूति आज ही हुई । रविश्रीवास्‍तव जी द्वारा प्राप्‍त जानकारी मेरे पूर्णत नयी एंवम ज्ञानवर्धक है। बहुत बहुत धन्‍यवाद
    प्रत्‍युत्तर दें
  19. amrendraJun 15, 2011 04:14 AM
    Namaskar sir,
    Mai aapke blog par kuchh sahityaik painting, rekhankan bhejna chahta hoo.

    aap ka chitrakar
    amrendra kumar
    p.o. fatuha
    dist- patna (Bihar)
    mob.- 09128004837
    प्रत्‍युत्तर दें
  20. RaviratlamiJun 15, 2011 05:10 AM
    अमरेन्द्र जी,
    अपने चित्र रचनकार rachanakar@gmail.com को ईमेल से भेज सकते हैं. चित्रों को लगभग 300 पिक्सेल के आकार में बदल कर भेज सकें तो उत्तम, क्योंकि तेज पेड लोड के हिसाब से चित्रों को छोटा ही रखा जाता है.
    प्रत्‍युत्तर दें


आगे पढ़ें: रचनाकार: रचनाकार को अपना अमूल्य सहयोग दें... http://www.rachanakar.org/2005/09/blog-post_28.html#ixzz1jSpOqLZA

2 comments:

  1. o como nuevas libertades y poderes para la,

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  2. nos llega ahora a traves de las redes de,

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